रीढ़ की हड्डी में दर्द के क्या कारण होते हैं?

January 31, 2023by admin-mewar
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जानिये रीढ़ की हड्डी में दर्द के क्या कारण, लक्षण और उपाय होते हैं

रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर के प्रमुख अंगों में से एक है। कई मौकों पर इससे जुड़ा दर्द देखने को मिलता है जो कुछ लोगों के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन जाता है। यदि आप भी इस तरह के दर्द से परेशान हैं, तो हम आपको इससे जुडी़ कुछ महत्वपूर्ण बाते बताने की कोशिश करेंगे। दर्द के कारण एवं अन्य ज़रूरी बातों को जानने से पहले आइए जानते हैं रीढ़ की हड्डी की संरचना से जुड़ी कुछ जानकारी एवं इसका महत्व।

रीढ़ की हड्डी क्या है?

यह हमारे शरीर के पिछले हिस्से में स्थित एक लंबे और पाइप या ट्यूब की तरह ऐसी बनावट है जो सिर के निचले हिस्से से शुरू होकर कमर के निचले हिस्से तक होती है। जवान उम्र के लोगों में इसकी लंबाई आमतौर पर 40 सेंटीमीटर और चौड़ाई 2 सेंटीमीटर तक होती है। इस संरचना में कई सारी नसें और सेल्स रहते हैं जो कि हमारे दिमाग से पूरे शरीर तक संदेश पहुंचाते हैं और बाकी हिस्सों से दिमाग तक संदेश  पहुंचाते हैं। इसे हमारी तंत्रिका प्रणाली (nervous system) का अहम हिस्सा माना जाता है। इसके मुख्य रूप से 3 भाग होते हैंः

  1. सर्वाइकल (गर्दन)
  2. थोरासिक (छाती)
  3. लुम्बार (पीठ का निचला हिस्सा)
रीढ़ की हड्डी में समस्या

रीढ़ की हड्डी में यदि किसी प्रकार की क्षति पहुंचती है तो इससे व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। ना सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक तौर पर भी इस तरह की समस्या का असर पड़ता है। कई प्रकार की चोट और बीमारियों की वजह से रीढ़ की हड्डी की सेहत पर फर्क पड़ता है। यदि समय पर ध्यान ना दिया गया तो इससे लंबे समय तक या फिर स्थाई रूप से कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट की वजह से लकवे जैसी परेशानी भी उत्पन्न हो सकती है ।

रीढ़ की हड्डी में समस्या होने पर दिखाई देने वाले लक्षण

 इस तरह की परिस्थिति में कई प्रकार के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसमें प्रमुख हैं:-

  • कमर के निचले हिस्से में दर्द और कुछ मौकों पर जकड़न का एहसास होना।
  • इस प्रकार का दर्द कुछ लोगों को रात में भी परेशान करता है।
  • कभी-कभी चलने फिरने या एक्सरसाइज के बाद भी दर्द बढ़ जाता है।
  • इसके अलावा दर्द कमर से होता हुआ कूल्हों तक भी महसूस किया जा सकता है।
  • कई ऐसे लोग हैं जिन्हें ऐसे मौके पर सुन्नता का एहसास होता है।
  • कमर के अलावा गर्दन में दर्द और जकड़न जैसी परेशानियां भी सामने आ जाती हैं।
  • गंभीर स्थिति होने पर मल-मूत्र से संबंधित समस्याएं भी व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं।

रीढ़ की हड्डी में दर्द के कारण

रीढ़ की हड्डी में दर्द के कई कारण हो सकते हैं।

1. ओस्टियोआर्थराइटिस

बात की जाए ओस्टियोआर्थराइटिस की, इस स्थिति में कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है जिसके कारण वर्टिब्रा एक दूसरे के संपर्क में आती हैं और उससे दर्द का एहसास होता है। वैसे ओस्टियोआर्थराइटिस का पूर्ण रूप से इलाज संभव नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे विकल्प मौजूद हैं जिससे लक्षणों पर काबू पाया जा सकता है।

2. हर्निएटेड डिस्क

हमारे प्रत्येक वर्टिब्रा के बीच डिस्क पाई जाती है जिसके कारण वे आपस में टकराते नहीं है। कुछ कारणवश डिस्क पर प्रभाव पड़ता है और बहुत ज़्यादा दबाव पड़ने पर यह डिस्क फट या टूट भी सकती है। इसके कारण रीढ़ की हड्डी में दर्द उत्पन्न हो सकता है।

3. साइटिका

यह हमारे शरीर की सबसे लंबी नस, जिसे साइटिक नर्व कहा जाता है, उससे संबंधित एक दर्द है जो कमर के निचले हिस्से से शुरू होकर पैरों तक अपना प्रभाव डालता है। यह मुख्य तौर पर शरीर के एक तरफ व्यक्ति को प्रभावित करता है और परेशानी का कारण बन जाता है। कई ऐसे विकल्प हैं जिनसे दर्द ठीक हो सकता है। इसमें बर्फ का सेक, गर्म सेक, स्ट्रेचिंग और कुछ दवाइयां शामिल है। लेकिन साइटिका के लिए डॉक्टर की सलाह बेहतर विकल्प है।

4. स्पाइनल स्टेनोसिस

जब रीढ़ की हड्डी में उपस्थित नसों की जगह सिकुड़ जाती है तो इससे नसों पर दबाव पड़ता है। ऐसे मौकों पर विभिन्न तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। जैसे कि दर्द, सुन्नता, झुनझुनी आदि। इस स्थिति का एक प्रमुख कारण ओस्टियोआर्थराइटिस माना जाता है। स्पाइनल स्टेनोसिस भी हमारे स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर अवस्था हो सकती है और कुछ मौकों पर उसके इलाज के लिए सर्जरी की सहायता भी लेनी पड़ जाती है।

5. स्कोलियोसिस

इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी की बनावट में बदलाव आ जाता है। आमतौर पर इसका प्रभाव बच्चों में दिखाई देता है। ध्यान न देने पर उनके शारीरिक विकास में समस्याएं देखने को मिल सकती है। इसके अलावा रीढ़ में झुकाव भी पैदा हो सकता है। स्कोलियोसिस के दौरान बच्चों के कंधों के आकार में भी फर्क दिखाई दे सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि अपने बच्चों के शारीरिक विकास पर ध्यान दिया जाए और किसी भी तरह की समस्या दिखने पर डॉक्टर से संपर्क किया जाए।

6. एंकिलोसिंग स्पोंडिलाइटिस

यह आर्थराइटिस का एक प्रकार है जिसके कारण कमर के निचले हिस्से और कूल्हों की तरफ दर्द महसूस किया जाता है। इसके अलावा यह दर्द शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। यदि समय पर इसका पता चल जाए, तो इसके बढ़ने की गति को धीमा किया जा सकता है।

7. कायफॉसिस

कायफॉसिस या कुब्जता ऐसी स्थिति को कहा जाता है जहां इंसान के रीढ़ की हड्डी आगे की तरफ झुक जाती है। मुख्य तौर पर इसका कारण वर्टिब्रा से संबंधित समस्या है। यदि बढ़ते बच्चों में पीठ में दर्द से संबंधित समस्या पाई जाती है, तो यह उनके आकार को भी प्रभावित कर सकती है। इस तरह की समस्या होने पर ना केवल शरीर के आकार पर फर्क पड़ता है बल्कि यह दर्द का भी कारण बन जाती है। कायफॉसिस का प्रभाव अगर कम है तो यह ज़्यादा गंभीर नहीं मानी जाती। लेकिन जब मौके गंभीर हो जाते हैं, तो कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसका इलाज कुछ बातों पर निर्भर होता है, जैसे की उम्र, कारण, एवं रीढ़ का घुमाव आदि।

इसके अलावा भी कुछ ऐसे मौके होते हैं जो रीढ़ की हड्डी में दर्द का कारण बन जाते हैं। जैसे कि किसी गतिविधि, दुर्घटना, या गाड़ी चलाते समय हड्डी का अपने स्थान से हटकर स्पाइनल कैनाल की तरफ बढ़ जाना।

रीढ़ की हड्डी को बेहतर रखने के उपाय

यदि आप अपनी कमर के स्वास्थ्य को सही रखना चाहते हैं, तो कुछ बातों का जरूर ध्यान रखें। इसमें सबसे प्रमुख है बेहतर और स्वस्थ खानपान। अपनी डाइट में ताज़ा फल, सब्जियां, दालें और प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करें। अपनी जीवनशैली में व्यायाम को जरूर महत्व दें। सीधे चलने एवं सीधे खड़े रहने की आदत डालें। ज्यादा झुक कर बैठने से बचें। धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें। सोते समय अपनी पोजी़शन को व्यवस्थित रखें। यदि आपको पेट के बल सोने की आदत है तो इस आदत को ज़रूर बदले क्योंकि इससे छाती पर दबाव पड़ता है और इसके फलस्वरूप दूसरे शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को ऐसे मौकों पर सावधानी बरतने की अत्यधिक ज़रूरत है।

यदि आप लंबे समय तक कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं तो अपने बैठने की पोजी़शन के साथ ही सिस्टम को भी सही रखने की ज़रूरत है। ज़्यादा लंबे समय तक कर ड्राइव करने पर अपनी पीठ को सहारा देने के लिए तकिए का उपयोग करें। इन सभी बातों का ध्यान रखने पर भी दर्द का प्रभाव तेज़ हो रहा हो, तो डॉक्टर को दिखाने में देरी ना करें।

रीढ़ की हड्डी में दर्द का इलाज

वैसे तो कई ऐसे मौके होते हैं जहां इस तरह का दर्द कुछ दिनों में अपने आप चला जाता है। कुछ लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव के कारण भी आराम मिल जाता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिन तक भी हो सकता है। यदि कारण गंभीर नहीं है तो दर्द धीरे-धीरे कम होने लगता है। फिर भी आपको रीढ़ की हड्डी से संबंधित ज़्यादा परेशानी हो रही है और दर्द एक हफ्ते के बाद भी नहीं जा रहा है तो अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। बेहतर सहायता के लिए आप मेवाड़ हॉस्पिटल के माहिर डॉक्टर्स से बात कर सकते हैं। जांच के दौरान वे आपसे दर्द से संबंधित कुछ ज़रूरी बातें पूछेंगे। ऐसे मौकों पर फिज़िकल एग्जाम से भी दर्द एवं कारण का पता लगाया जा सकता है। जांच के लिए कुछ टेस्ट भी किए जा सकते हैं जिसमें प्रमुख है एक्स-रे एवं सीटी स्कैन।

अब बात की जाए रीढ़ की हड्डी में दर्द के इलाज की, इसमें सबसे प्रमुख है दवाइयां जिसके कारण दर्द कम हो जाता है। यदि स्थिति सामान्य से गंभीर हो चुकी है डॉक्टर स्टेरॉयड इंजेक्शन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे मौकों पर डॉक्टर आपको फिजिकल थेरेपी की सलाह भी दे सकते हैं जिसमें फिजिकल थैरेपिस्ट आपके दर्द के मुताबिक विभिन्न तरह की थेरेपी से मदद करने की कोशिश करेंगे। इससे दर्द में फायदा भी होगा और आपकी रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। जब इन उपायों की मदद से भी आराम नहीं मिलता है तो  डॉक्टर को सर्जरी की मदद लेनी पड़ जाती है।

मेवाड़ हॉस्पिटल की टीम का संदेश

इस ब्लॉग के माध्यम से हमने रीढ़ की हड्डी एवं उसमें होने वाले दर्द के कारणों को बताने की कोशिश की। हम उम्मीद करते हैं इन सभी बातों के माध्यम से आप सचेत रहने की कोशिश करेंगे और यदि दर्द सामान्य से अधिक हो रहा हो तो डॉक्टर से संपर्क करेंगे। रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने पर उसे नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए अन्यथा कुछ गंभीर मौके ऐसे भी होते हैं जहां रीढ़ की हड्डी में कैंसर की समस्या हो सकती है।

इसलिए इन सभी बातों का ध्यान रखें। मेवाड़ हॉस्पिटल के कुशल ऑर्थोपेडिक डॉक्टर्स की टीम आपकी सहायता के लिए उपलब्ध है। हमसे संपर्क करने के लिए आप राजस्थान और मध्य प्रदेश में उपस्थित हमारे सेंटर्स पर पधार सकते हैं। इसके अलावा डायरेक्ट अपॉइंटमेंट के लिए हमारे लैंडलाइन नंबर या फिर ऑनलाइन चैट सपोर्ट की सहायता भी ले सकते हैं।

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