जानें गर्दन दर्द के लक्षण, कारण और उपचार आदि
एक बेहतर और खुशहाल जीवन के लिए गर्दन का स्वास्थ्य सही रहना बहुत ज़रूरी है। यदि इससे जुड़ी कोई समस्या सामने आती है, तो यकीनन व्यक्ति को विभिन्न परेशानियां झेलनी पड़ सकती है। गर्दन में दर्द वैसे तो एक आम समस्या मानी जाती है। लेकिन जब इस तरह की स्थिति का आप और हम सामना करते हैं, तो ये बड़ा ही असुखद अनुभव होता है। यह दर्द स्वयं की गलती या किसी घटना के कारण अपना प्रभाव छोड़ सकता है। कुछ मौके ऐसे भी होते हैं जहां आराम और घरेलु उपायों से फायदा नहीं मिलता और अंत में डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी हो जाता है। आज मेवाड़ हॉस्पिटल की टीम आपको गर्दन में दर्द से जुड़ी कई उपयोगी बातों से परिचित कराने की कोशिश करेगी। तो आइए सबसे पहले शुरू करते हैं मानव शरीर में गर्दन की रचना के बारे में।
गर्दन की रचना
गर्दन हमारे शरीर का वह हिस्सा है जो कि सिर को छाती और कंधों से जोड़ता है। इसका ठीक तरह से काम करना बेहद ज़रूरी है क्योंकि इसके माध्यम से हम कई प्रकार के कार्य सकुशल कर पाते हैं। सिर को किसी भी दिशा में घुमाते समय गर्दन का अहम योगदान होता है। इसमें वर्टिब्रल कम्पार्टमेन्ट (vertebral compartment) होता है जिसमें सर्वाइकल वर्टिब्रा (cervical vertebrae) और आसनीय मांसपेशियां (postural muscles) आते हैं। विस्रल कम्पार्टमेन्ट (visceral compartment) में थाइरॉइड, पेराथाइरॉइड और थाइमस ग्रंथियां (glands), लेरिंक्स (larynx) फेरिंक्स (pharynx) और ट्रेकिया (trachea) होते हैं। दो वस्क्यूलर कम्पार्टमेन्ट्स (vascular compartments) में गर्दन की हर तरफ सामान्य कार्टोइड आर्टरी (common cartoid artery) आंतरिक गले की नस (internal jugular vein) और वेगस नस (vagus nerve) होती है।
अब बात की जाए गर्दन में उपस्थित ट्राइएंगल्स (triangles) की, ये मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। पहला एंटीरियर (anterior) और दूसरा पोस्टिरियर (posterior) ये असल में मांसपेशियों द्वारा घिरे हुए स्थान होते हैं। गर्दन में मुख्य रूप से तीन प्रकार की मांसपेशियां होती हैं जो कि गर्दन के आगे, पीछे, और साइड में स्थित होती हैं। अंत में बात की जाए हायोइड बोन (hyoid bone) की, ये एक यू-शेप की हड्डी होती है जो गर्दन के आगे की तरफ होती है और हमारी जुबान को सहारा देती है। इस हड्डी का बोलने और खाने को निगलने में बड़ा अहम योगदान होता है। इस हड्डी की खास बात ये है कि ये पूरे शरीर में एकमात्र हड्डी है जो किसी भी हड्डी से सीधे जुड़ी नहीं होती। यह दूर से मांसपेशियों और लिगामेन्ट्स के माध्यम से जुड़ी होती है।
गर्दन में दर्द के लक्षण
इस प्रकार का दर्द विभिन्न श्रेणी में पाया जा सकता है। जैसे कि कुछ लोगों में यह दर्द लगातार होता है। इसके अलावा दर्द उस समय बुरा हो जाता है जब कोई व्यक्ति अपने सिर को एक ही जगह पर काफी देर तक स्थिर रख लेता है। और भी कई ऐसे लक्षण हैं जो सामने आ सकते हैं। इनमें शामिल है मांसपेशियों में जकड़न, गर्दन में जलन, आदि। कभी-कभी गर्दन में दर्द होने के साथ ही सिर में दर्द शुरू हो जाता है। यहां तक कि एक या दोनों बाजु़ओं में सुन्नता और झुनझुनी जैसे हालात भी बन जाते हैं। गर्दन में दर्द होने पर एक सामान्य परिस्थति यह भी है कि उस समय सिर को सही तरीके से हिलाने ढुलाने में मुश्किल हो जाती है।
इसलिए याद रहे कि गर्दन में दर्द को हमेशा सामान्य ना समझें। यदि स्थिति गंभीर दिखाई देती है तो चिकित्सक से सलाह ज़रूर लें। हम कभी-कभी इस दर्द को एक दिन भी सह नहीं पाते, लेकिन जब हालात गंभीर हो जाते हैं तो ये दर्द महीनों तक बना रहता है। अत्यंत बुरी स्थिति में इस दर्द का असर कई सालों तक भी बना रह सकता है।
हालात बिगड़ने से पहले सचेत हो जाने पर आप कई प्रकार की कठिनाइयों से बच सकते हैं। बेहतर सलाह और उपचार पाने हेतु मेवाड़ हॉस्पिटल के काबिल ऑर्थोपेडिक डॉक्टर्स की टीम अपनी सेवाओं के साथ हाज़िर है। वे आपको इन परिस्थतियों से बचने और निपटने के उपायों से आपकी मदद करेंगे।
गर्दन में दर्द के कारण
आइए अब आपको बताते चलते हैं उन कारणों के बारे में जो गर्दन में दर्द को बढ़ावा दे सकते हैं।
1. बढ़ती उम्र
आमतौर पर जवान लोगों के मुकाबले बढ़ती उम्र के लोगों में जोड़ संबंधी रोग, जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस और स्पाइनल स्टेनोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इस वजह से गर्दन में दर्द महसूस किया जाता है।
2. चोट
कई बार अचानक से होने वाली गतिविधि या चोट भी गर्दन में दर्द का कारण बन सकती है। एक्सीडेन्ट, गिरने या खेलते समय गर्दन में झटका लग सकता है जिस वजह से उससे संबंधित मांसपेशियां और लिगामेन्ट्स अपनी सामान्य सीमा से बाहर निकल जाते हैं और दर्द को प्रभावित करते हैं।
3. मांसपेशियों में खिंचाव
यदि किसी व्यक्ति के मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या आ रही है, तो इस कारण भी गर्दन में दर्द महसूस किया जा सकता है। इसके वैसे तो कई कारण हैं। लेकिन आज आमतौर पर ये देखा जा रहा है कि कई लोग अपने मोबाईल, कंप्यूटर, या टैबलेट पर घंटों बिता देते हैं जिससे उनकी मांसपेशियों पर असर पड़ता है। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति अपनी गर्दन से जुड़ी मांसपेशी को बार-बार काम में ले रहा है या उससे संबंधित एक की कार्य को बार-बार कर रहा है, तो इस कारण भी अकड़न और दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
4. मोटापा
कुछ लोगों के लिए ये बात नई होगी लेकिन हां, आपकी जीवनशैली की वजह से भी इस तरह की समस्या सामने आ सकती है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर का वज़न ज़्यादा है, तो इस कारण उसकी कमर का बैलेंस प्रभावित होता है और इस कारण गर्दन में भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
5. मानसिक तनाव
शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही ये भी ज़रूरी है कि हमारी मानसिक सेहत स्वस्थ रहे। यदि ऐसा ना हो, तो गर्दन में दर्द के साथ ही कई अन्य समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। अत्यधिक चिंता भी गर्दन में दर्द और अकड़न का कारण बन सकती है। इसलिए इस बात का भी खासतौर से ध्यान रखें।
6. अन्य
कुछ मौकों पर बोन स्पर या ट्यूमर की स्थिति में भी इस प्रकार का दर्द हो जाता है। हालांकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है। इसके अलावा कैंसर भी दर्द के कारणों में से एक माना जाता है। और भी कई बीमारियां हैं जो इस दर्द को बढ़ावा दे सकती हैं, जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस, मेनिन्जाइटिस, फोड़े, आदि। हार्ट अटैक का भी गर्दन में दर्द से संबंध पाया जाता है।
कुछ कारणों की वजह से पुरूषों की तुलना में यह समस्या औरतों में ज़्यादा पाई जाती है।
क्या आप भी लैपटॉप या कंप्यूटर पर घंटों काम करते हैं?
आज के आधुनिक युग में जहां टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ गई है, हममें से कई लोगों के जीवन में कंप्यूटर और लैपटॉप का इस्तेमाल भी बहुत बढ़ गया है। ये हमारे दैनिक जीवन की आवश्यकताओं में से एक बन गए हैं। यकीनन इनसे होने वाले फायदे कई तरह के हैं, लेकिन आपको इनसे जुड़े नुकसानों को भी समझने की ज़रूरत है।
कई व्यक्ति इन्हें उपयोग में लेते ज़रूर हैं, लेकिन खासतौर से वे जो ज़्यादा देर तक इनकी स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, उन्हें गर्दन में दर्द की समस्या झेलनी पड़ सकती है। इसका एक प्रमुख कारण है अपने पॉस्चर को सही ना रखना। यदि आप सही तरह से बैठेंगे तो इससे आप कमर और गर्दन से जुड़ी समस्याओं से बच सकते हैं। काम करते समय अपनी कमर को सीधा रखें और ज़्यादा झुककर ना बैंठें। सही कुर्सी का उपयोग करें जो आपकी कमर को सपोर्ट करे। उसकी हाइट को एडजस्ट करें जिससे आपके पैर ज़मीन तक पूरी तरह टिके रहें और जांघें ज़मीन के अनुरूप रहें। बेहतर सलाह और जानकारी के लिए आप मेवाड़ हॉस्पिटल के डॉक्टर्स से बात कर सकते हैं।
गर्दन में दर्द की जांच
सामान्य तौर पर गर्दन में दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है। लेकिन यदि इसका प्रभाव तेज़ है और यह आपको लगातार परेशान करे, तो बेहतर है कि डॉक्टर की सलाह ले ली जाए। मेवाड़ हॉस्पिटल की डॉक्टर्स की टीम द्वारा आप उचित सलाह एवं इलाज पा सकते हैं। जांच के दौरान वे आपसे मेडिकल-संबंधी परेशानी जानेंगे। इसके अलावा फिजिकल एग्जा़म के ज़रिए भी दर्द के कारण का पता लगाने की कोशिश कर सकते हैं।
कारणों को जानने के लिए कुछ जांचों की भी सहायता ली जाती है। इनमें मुख्य रूप से एम.आर.आई., एक्स-रे एवं सिटी स्कैन शामिल हैं। और भी कुछ जांचें हैं जिनसे दर्द से जुड़ी बेहतर जानकारी प्राप्त हो सकती है।
आइए अब बात करते हैं गर्दन में दर्द के इलाज विकल्पों के बारे में।
गर्दन में दर्द के इलाज विकल्प
एक बड़ी तादाद में इस दर्द का प्रभाव कुछ समय तक होता है जो अपने आप चला जाता है। यदि प्रभाव तेज़ है और आप इस दर्द के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं, तो इसमें सबसे पहला उपचार विकल्प आता है दवाइयां। कई ऐसी दवाइयां है जिनसे दर्द और सूजन में आराम मिलता है। इंफेक्शन पाए जाने पर एंटीबायोटिक की भी मदद ली जाती है।
गर्दन में दर्द के इलाज के लिए दूसरा और बड़ा ही मददगार विकल्प है थेरेपी। इसमें डॉक्टर द्वारा कुछ ऐसी एक्सरसाइज़ बताई जाती है जिनसे गर्दन की मांसपेशियों और टेंडन्स को फायदा पहुंचता है। फिजिकल थैरेपिस्ट की सहायता लेकर आप बैठने के सही तरीके को भी समझ सकते हैं जिससे गर्दन में दर्द एवं अन्य परेशानियां ना हो। यदि दवाइयों से फर्क ना पड़े तो ऐसे मौकों पर स्टेरॉइड इंजेक्शन भी लगाया जाता है जो दर्द को कम करने में उपयोगी माना जाता है। अन्य विकल्पों में शामिल है एक्यूपंचर एवं मसाज।
वैसे तो ऊपर दिए गए विकल्पों और घरेलू उपचारों की मदद से ही गर्दन से जुड़ी तकलीफ दूर हो जाती है। लेकिन यदि इन सभी उपायों से भी आराम ना मिले, तो सर्जरी के माध्यम से परेशानी दूर की जा सकती है।
गर्दन में दर्द के लिए घरेलू उपाय
गर्दन हमारे शरीर का एक प्रमुख हिस्सा है जिसका हमें ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है। यदि इसमें कोई परेशानी पाई जाती है तो इससे हमारा पूरा शरीर प्रभावित होता है। इसलिए इस तरीके के मौके घटित होने पर आप आराम ज़रूर करें। आराम करने के माध्यम से आपको इस दर्द में काफी फायदा हो सकता है। इसके अलावा गर्म और बर्फ का सेक भी दर्द को दूर करने में उपयोगी है। आराम के समय इस बात का ख्याल ज़रूर रखें कि अपने दिनचर्या की गतिविधियों को कुछ समय के लिए रोक दें। जैसे कि कुछ लोग खेलकूद या जिम में वज़न उठाने जैसे कामों को प्रतिदिन अंजाम देते हैं, उन्हें चाहिए कि पहले दर्द को पूर्ण रूप से ठीक होने दें।
गर्दन में दर्द से बचने के उपाय
- धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें। ये आदत गर्दन दर्द के साथ ही पूरे शरीर के लिए बुरी है।
- अपने शरीर का वज़न संतुलित रखें। मोटापा होने पर वज़न कम करने की कोशिश करें।
- मानसिक तनाव को कम रखें। बहुत ज़्यादा तनाव हमारे शरीर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
- प्रतिदिन एक्सरसाइज़ करने की कोशिश करें। गर्दन में दर्द होने पर फिजिकल थैरेपिस्ट की मदद से घर पर की जाने वाली एक्सरसाइज़ करें।
- अपने बैठने के तरीके पर ध्यान दें। जब भी कहीं बैठें तो याद रखें कि आपकी कमर सीधी रहे। यदि आप किसी ऐसी जगह काम करते हैं जहां ज़्यादा देर बैठने या खड़े रहने का काम है, तो एक निश्चित समय के अंदर अपने शरीर को कुछ देर के लिए आराम दें। यानी बहुत ज़्यादा देर एक ही जगह बैठे रहने पर कुछ देर खड़े हो जाए, टहल लें। और बहुत ज़्यादा देर एक ही जगह खड़े रहने पर या तो बैठ जाएं यह कुछ कदम इधर-उधर चल लें।
- सोते समय सही तकिए का इस्तेमाल करें और अपनी पोजीशन को ठीक रखें। पेट के बल सोने से बचें। पर्याप्त नींद जरूर लें।
- बहुत ज़्यादा देर तक लगातार फोन, कंप्यूटर, टेबलेट या लैपटॉप की स्क्रीन पर ना बैठें।
यदि आप इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं तो मुमकिन है इस तरह का दर्द आपको ना सताए और यदि दर्द होता भी है तो आप समय रहते उस पर काबू कर सकते हैं।
मेवाड़ हॉस्पिटल की टीम का संदेश
दर्द का प्रभाव तेज़ होने पर आप हमारी टीम से ज़रूर संपर्क करें ताकि समय पर दर्द का इलाज हो और आप इससे होने वाली परेशानियों से दूर रहें। राजस्थान और मध्य प्रदेश के विभिन्न इलाकों में हमारे सेंटर्स मौजूद हैं। डॉक्टर की सलाह के लिए आप हमारी टीम से दिए गए नंबर या फिर ऑनलाइन चैट सपोर्ट के ज़रिए बात कर सकते हैं।
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